तुम मायूस मत होना।
जब गम के बादल लहराएं
और बीतता वक्त चुभता जाए
किसी कार्य में मन न लगे
तुम्हारी ताकतें तुम्हारी कमज़ोरी बनें —
तुम, फिर भी मायूस न होना।
कई बार अंधेरा छाएगा
सब जुड़ने पर फिर बिखर सा जाएगा
फिर भी उन आंखों में आज़ाद सपनों की चमक तुम कम न होने देना —
देखो, तुम मायूस न होना।
अंधेरा छाएगा यह तय मालूम पड़ता है
पर तय यह भी — बाद में उजाला लहराएगा
गम में बहे आसूँ, खुशी में तब्दील हो जाएंगे
अगर कुछ क्षण मायूस हो भी
उसे कुछ क्षण में ही समेट लेना —
वो कहते हैं ना — अंत में सब ठीक हो जाता है,
यदि ठीक न हुआ तो अंत भी नहीं हुआ!
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