Saturday, July 23, 2022

नारी

🙏
 
My mother's depiction of the poem...

इस विश्व को जन्म देने वाली
इस विश्व में जन्म लेने वाली
जननी, पुत्री
सरस्वती, लक्ष्मी, दुर्गा, काली
सृष्टिकर्ता, सृष्टिविधाता
अलंकार, अग्नि, समृद्धि, सौम्यता
कर्ता भी, कर्म भी
तेजस्वी भी, शीतल भी
माँ की ममता भी, पुत्री की मनमौजी भी
तपस्वी का तप भी, अप्सरा का आभूषण भी
आक्रोश भी, शांति भी, 
सर्वगुणी, सहिष्णु, 
परमात्मा की पराकाष्ठा —
नारी!

Gratitude

Whatever there is, is a gift. The present we must value - every present moment. But as humans we tend to forget it. Take everyth...