कभी वायु का गीत सुना है?
या नदी का चहकना?
या किसी पौधे का खिलखिलाना?
परिंदे का बहना?
समय का ठहरना?
सब असंभव सा लगता है?
हैना?
पर यदि चंद फुरसत के पल इस जिंदगी की आपाधापी से चुरा लो
और ठहरकर समय को परखो
तो सब महसूस होगा —
समय ठहर जाएगा
तुमसे बातें करेगा!
और बहुत कुछ सिखा भी जाएगा।
जीवन इतना ही सरल है
शायद हम ही इसे कठिन बना देते हैं।
या फिर ऐसा सोच लेते हैं।
सब सोच का ही तो खेल है!
जो दरअसल वाकई मायने रखता है
उसे मामूली चीज़ों के बोझ तले दबा देते हैं!
तो अगली बार यदि कोई नदी चहके या पौधा खिलखिलाए
तो उसे आत्मसात करने का प्रयत्न करना
क्या पता यह एहसास तुम्हें बहुत कुछ सिखा जाए!