अंग्रेज़ीयत छोड़ गए
तो क्यों अंग्रेज़ीयत ने अब भी जकड़ा है?
जो श्वेत वह सुंदर
जो अश्वेत वह कृष्ण — नहीं?
एक ओर काली माँ पूजनीय
तो दूसरी ओर काली पुत्री अपूजनीय?
क्यों यह दोगुलापन?
जो हिंदी में बात करे वह गंवार
वहीं अंग्रेजी में वार्तालाप – अच्छी शिक्षा का प्रमाण!
कुछ समझ आया?
मुझे तो नहीं!
अंतर करके हुआ बंटवारा
तो क्यों न साथ चलने की मानसिकता से जुड़ें
जिस रंग / भाषा / जात इत्यादि ने हमे बाँटा
वही हमें जोड़े तो?
अनेकता में एकता नहीं तो स्वाधीन भारत का मायना ही क्या?!