ज़िन्दगी ?! - नई रचना - पढ़ें और परखें।
ज़िन्दगी क्या है? –
यही मेरा सवाल है
एक प्राणी कि कश्मकश बन –
सैंकड़ो किस्से उसमे दफ़न
कुछ राह में ख़्वाब पूरे –
तो कुछ रह गए अधूरे
एहसासों का एक सैलाब
कभी खुशियों के झरनें - तो कहीं आंसूओं भरे तलाब
एक उम्र रिश्ते जोड़ने, एक उम्र निभाने में
एक उम्र नई ज़िन्दगी संवारने, एक थकी ज़िन्दगी उभारने में
क्या मौत भी एक ज़िन्दगी है?
शायद एक नई ज़िन्दगी की शुरुआत है
वो जिसकी सिर्फ कल्पना है
हक़ीक़त समय के अधीन है
ज़िन्दगी क्या है
ये अब भी मेरे लिए सवाल है
बहुत कुछ जाना है हमने
पर कई हैं राज़ अब भी खुलने
मनुष्य का जीवन रहते अगर जवाब मिल जाए,
तो रोचक नहीं यह ज़िन्दगी, अगर सवाल ही ना रह पाए
तो, ज़िन्दगी क्या है? – ये सवाल तो है मेरा
मगर बेहतर कि ये सवाल बिन जवाब ही रह जाए, तेरा या मेरा!
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