Tuesday, June 24, 2025

छत

आज जब घर की छत पर आई
तो मुलाकात हुई उसी अनुभव से जो पुराने घर की छत सा था
जिसकी आँखों से देखो तो आसमान हजारों ख़्वाब लिए चमकता था
और पहली बारिश की बूंदें उसी तरह मुझे तरोताज़ा करती थीं 

बस हम बच्चों की किलकारियों की जगह सड़कों पर चल रहीं गाड़ियों के हॉर्न में कब तब्दील हो गई?
जहाँ एक पूरा जाना पहचाना सा मोहल्ला एक नए अपरिचित शहर की जगह ले चुका है
और वही जानी पहचानी सी गली न जाने किस ओर जा चली है

तारे अब भी उसी स्वरूप में टिमटिमाते हैं इस छत से भी यह देख कर कुछ सुकून सा मिलता है
जो बहुत यत्नों के बाद महसूस मालूम पड़ता है 

जैसे पिछला घर छत का पर्यायवाची था
यह घर बगीचे का
जिसका एहसास इस छत से भी महसूस होता ही है 

शाम रात में तब्दील हो चली है
और हवाऐं मुझे अपने साथ उन्हीं यादों में बहाकर ले चली हैं
जिनका अस्तित्व मेरे अंतर्मन में आज भी एक महक सा चहक रहा है।


Gratitude

Whatever there is, is a gift. The present we must value - every present moment. But as humans we tend to forget it. Take everyth...